गोकुल के श्याम
कब से आंखे तरस रहीं हैं
दर्शन तेरा हो जाए
माला फूल चढ़ाने को
आतुर मेरा मन हर्षाए
झूला ढंका हुआ उस पर
हीरे, मोती, सोने- चांदी
मोर मुकुट धारण कर आओ
आधी रात जब हो जाए
मथुरा से गोकुल – बरसाने
ग्वाल, बाल- गोपियां सभी
उमड़ पड़ी है भीड़ गलिन में
कुंज गली भी घबड़ाए
पीत वसन,बंसुरी, मयूर पर
माखन,मिसिरी, मटकी – रसरी
देखकर हाथ में तेरे गिरधर
जीवन यह धन्य हो जाए
ब्रज भूमि की यह पावन माटी
लाखों भक्तों की तीर्थ भूमि
गोकुल धाम के श्याम नाम
से, भव बाधा सब मिट जाए
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