खत लिखते है तुझे
तुम जो आए जीवन में
तेवर मेरे बदल गए
जो दुनिया की भीड़ में
कभी खोयी रहती, मै
उससे बाहर निकल के
खत लिखते हैं तुझे
हां ये जमाना है
मोबाइल, फोन और
मेंसेजेस का मगर
मुझे यह ज्यादा पसंद
नहीं आता तेरे ख्याल को
हम ऐसे समेटते है
जब भी याद तेरी
आ जाए तो ना
खुश होया जाए
ना ही हमसे रोया
जाए, अश्को को अपने
पन्नो पर बिखेरते है
हाय, ये मोहब्बत भी
हुई मुझे किससे जो
दो पल ना रुकता
है किसे के रोके
मेरी तरफ जो एक
बार भी ना देखें
मेरा दिल भी कमाल
कर दिया जिसे कल
तक दूरी रखता था
आज देखो उसी के
इश्क़ में ऐसे ढूबा की
सारा जहां भूल गया
हां कभी कभी यह
एहसास होता है दिल
मेरा गलती कर बैठा
जहाँ आकर संभलना था
वही आकर ये ना
जाने क्यूँ पिसल गया
इस दिल को तो
मैं रोक नहीं पायी
तू बन गया अब
मेरी परछाई तेरी
मुझे अब लत सी
है लग गयी तेरी
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