राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा आनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया
गोरखपुर- संग्रहालय अतीत का संरक्षक, भविष्य का शिक्षक एवं ज्ञान का वातायन है।’ संग्रहालय का मूल उद्देश्य जन-सामान्य को मनोरंजनपूर्ण ढंग से शिक्षित करना एवं अपने धरोहर के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। स्वयं को अपने अतीत से जोड़कर ही हम वर्तमान को गौरवमयी बना सकते हैं। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समाज के हर वर्ग को जोड़ने हेतु संग्रहालय द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं यथा-चित्रकला, सामान्य ज्ञान, क्ले माडलिंग आदि का आयोजन किया जाता है।
आजादी का अमृत महोत्सव एवं चौरी -चौरा शताब्दी वर्ष के अन्तर्गत कारगिल विजय दिवस के अवसर पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा कक्षा 9 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के मध्य आनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसका परिणाम आज घोषित किया गया।
इस प्रतियोगिता में कक्षा-9 से 12 तक के कुल 27 छात्र-छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 18 प्रतिभागियों ने निर्धारित विषय (कारगिल विजय अथवा स्वतंत्रता संग्राम) पर चित्र बनाकर आनलाइन प्रतिभागिता सुनिश्चित की।
समस्त प्रतिभागियों ने अपने कला कौशल का परिचय देते हुए पूर्व निर्धारित विषय पर काफी सुन्दर एवं हृदयस्पर्शी चित्र बनाये।
विशेषज्ञ के रूप में डाॅ0 भारत भूषण, पूर्व विभागाध्यक्ष, ललित कला एवं संगीत विभाग, दी0द0उ0गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर उपस्थित रहे। डाॅ0 भारत भूषण द्वारा स्तरीय चित्रों का चयन किया गया। तदोपरान्त विजेता प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सान्त्वना पुरस्कार की घोषणा की गयी।
विजेता प्रतिभागियों में प्रथम पुरस्कार साधना मिश्रा (कक्षा-11), पं0 जवाहर लाल नेहरू इण्टर कालेज तिलौरा, गोरखपुर को, द्वितीय पुरस्कार अपर्णा सिंह (कक्षा-11), आर0पी0एम0 एकेडमी, गोरखपुर को, तृतीय पुरस्कार अंजली प्रियदर्शिनी पाण्डेय (कक्षा-10) सरमाउण्ट इन्टरनेशनल स्कूल, गोरखपुर को एवं सान्त्वना पुरस्कार कामाक्षी (कक्षा-10), सेन्ट एन्थनी कान्वेन्ट स्कूल, गोरखपुर को प्राप्त हुआ।
उक्त अवसर पर विषय विशेषज्ञ एवं मुख्य अतिथि डाॅ0 भारत भूषण ने कहा कि बच्चों द्वारा निर्धारित विषय पर चित्रकला के माध्यम से कारगिल विजय अथवा स्वतंत्रता संग्राम सम्बन्धी घटनाओं का अंकन ही नहीं किया बल्कि देश प्रेम का सन्देश भी दिया गया है।। उन्होंने कहा कि सभी बच्चे प्रतिभावान होते हैं, किन्तु आवश्यकता है उनके प्रतिभा को संवारने, निखारने और उजागर करने की। इस कड़ी में संग्रहालय का यह एक सार्थक प्रयास है। आज प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाये जाने की आवश्यकता है।
कोविड-19 प्रभाव के कारण विद्यालय एवं अन्य संस्थाएं लगभग बन्द चल रही हैं, ऐसे में आनलाइन बच्चों की क्रियात्मकता बनाये रखने के लिए संग्रहालय द्वारा यह सराहनीय कार्य किया जा रहा है। इन बच्चों में प्रतिभा का रंग कूट-कूट कर भरा है। इनमें सीखने की अपार क्षमता है। निश्चय ही इनकी प्रतिभा देश एवं समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
संग्रहालय के उप निदेशक डा0 मनोज गौतम ने कहा कि भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार तथा बच्चों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक करने के लिए संग्रहालय द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों में छिपी बौद्धिक क्षमता, प्रतिभा को निखारना एवं उन्हें प्रोत्साहित कर उनकी कमियों को दूर करने का अवसर प्रदान करना है। बच्चे देश व समाज के आईना हैं। इनकी प्रतिभा को सजोने एवं वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रोत्साहित करना भी हमारा उद्देश्य है।