अतिरिक्त आय के लिए कृषि के साथ मधुमक्खी पालन करें
मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम क्षेत्रफल और कम समय में अधिक लाभ प्राप्त किया सकता है। इस व्यवसाय में श्रम एवं पूंजी की भी कम आवस्यक्ता पड़ती है ।इसमें शारीरिक परिश्रम अधिक ना होने से ग्रामीण महिलाएं एवं बच्चे भी अपने घरेलू कार्य के साथ कर सकते हैं।
मधुमक्खी पालन की जानकारी देते हुए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी से संबंधित कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया के उद्यान वैज्ञानिक एवं प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि यह एक सरल एवं पूर्णता कृषि पर आधारित है ।
यहां का मौसम एवं भोजन स्रोत मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल है। महिलाएं अपने घर के आस-पास आंगन में या बारी में पांच दश बॉक्स रखकर मधुमक्खी की देखभाल अपने खाली समय में कर सकती हैं । मधुमक्खी के बॉक्स को खेत के मेड़ पर सड़क के किनारे बगीचे या कहीं भी रखा जा सकता है । मधुमक्खी लगभग 3 किलोमीटर त्रिज्या क्षेत्र से अपना भोजन लेती है शहद के अतिरिक्त मोम, राज अवलेह, पराग, प्रोपोलिस का उत्पादन किया जाए तो n केवल अधिक लाभ होगी बल्कि विदेशी मुद्रा भी कमाया जा सकता है ।पहले लोग आयुर्वेदिक दवा के साथ या दवा के रूप में शहद का प्रयोग करते थे, परंतु अब लोग नियमित भोजन के साथ शहद का सेवन कर रहे हैं। मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिससे ना केवल मधु प्राप्त होती है बल्कि ऐसी फसलें दिन में परागण कीड़ों द्वारा होता है मधु मक्खियां परागण का कार्य करती है। ऐसा पाया गया है कि मधुमक्खी द्वारा सस्य, उद्यानिकी और बानिकी फसलों में परागण क्रिया से उत्पादन में 20% तक वृद्धि होती है। 10 मौन बॉक्स से मौनालय स्थापित करने पर 35000 से रु-40000 खर्च होता है आता है एक इटालियन मॉल मंच पर लगभग 3500 हजार से 4000 रुपए खर्च होगा एक मौन बंस से 30 से 40 किलोग्राम मधु प्रति वर्ष उत्पादित होगा तथा 3 वर्ष की अतिरिक्त वृद्धि होगी इस प्रकार 5 से 10 वर्षों में मधुमक्खी पालन शुरू करके 1 वर्ष में 25 से रु-30000 की शुद्ध आय प्राप्त की जा सकती है यह आय उसके मुख्य कार्य के आय के अतिरिक्त होगी।
गरीब भूमिहीन भी इस व्यवसाय को 3 से 5 बक्से से, कम पूंजी शुरू कर 3 वर्षो के अंदर 50 से 100 वर्षों के मालिक बन सकते हैं और प्रतिवर्ष शहद बेचकर लाखों रुपए की आमदनी ले सकते हैं।