तलाश
सब तलाश में है
कोई सुकून में है
कोई सुकून से है
पर!
सब तलाश में हैं!
मासूमों के हिस्से
कम ही थी वैसे भी
सांसें!
अब उखाड़ी जा रही हैं!
दोषी तो मैं भी हूँ
ऑक्सिजन के मृत सिलिंडर की
अर्थी को एक कंधा मेरा भी है!
लोग हांफते हुए
कह रहे हैं
अगर सांसें रही तो
तो!
इस पर्यवारण दिवस पर
एक पेड़ रोपुंगा
और इंतजार करूंगा
उसके सूखने तक
तलाश है उसे
अपने बाप की,
उसकी जिद्द से
प्रशासन बौराया है!
एम्बुलेंस शमशान में रुकेगी
उन बाईस लाशों में
बाप के बदले
उसने खोज लिया है
मां को!
अब गिद्ध!
आसमान से नहीं तलाशते
वे सीधे धरती पर उतर आये हैं।
और वो खुशमिजाज आदमी
अपने सामने फैलाये,
नक्शे को देख रहा है
कूची तलाश रहा है,
उसे अभी
सम्राज्य की सरहदों को बढ़ाना है
आनन्द सिंह चौहान, बीकानेर BsF ,ट्रेनिंग सेंटर
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