श्री राम दोहावली
राम संस्कृति व सभ्यता,राम हमारे धर्म
राम सिखाते हैं हमें, अपना क्या सत्कर्म
पापियों के कुकर्म से,जग का हो उद्धार
रामचन्द्र के रूप में, विष्णु का अवतार
धरती पर कायम किया, एक नया आदर्श
धारण करने से जिसे, हो जीवन में हर्ष
मानव संग मित्र बने, बन्दर भालू गिद्ध
जीव एक समान सभी, किया राम ने सिद्ध
ऊंची नीची जाति में, कभी न माना फर्क
जूठे बेर शबरी के,ग्रहण बिना कुछ तर्क
हैं त्याग और प्रेम की,अनुपम अमिट मिसाल
वचन पिता का सुन चले,वन में चौदह साल
रावण का आतंक था,सबके लिए कलंक
मूल सहित समाप्त किया, होकर के निःशंक
दुष्ट दुराचारियों का,तब होते ही अंत
बन्द हुए पापाचार, हर्षित सारे सन्त
नामुमकिन मुमकिन बना, कृपा किए जब राम
तब किए बजरंगबली,सारे मुश्किल काम
मर्यादा मानक बने, पुरुषोत्तम का रूप
जनता भी खुशहाल थी, एक अनोखा भूप
( भोला प्रसाद ,आग्नेय )
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