“भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ और डॉ. बी.आर.अंबेडकर ” विषय पर वेबिनार आयोजित
नव नालंदा महा विहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा की ओर से डॉ भीमराव अंबेडकर की 130 जयंती के अवसर पर ” भगवान बुद्ध की शिक्षाएं और डॉ. बी. आर. अंबेडकर ” विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।
इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ ने की। इस अवसर पर हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष डॉ रवींद्र नाथ श्रीवास्तव “परिचय दास” एवं अंग्रेज़ी विभाग के एसोशियेट प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष डॉ श्रीकांत सिंह ने व्याख्यान दिया।
परिचय दास ने कहा कि डॉ अंबेडकर ने बुद्ध की शिक्षाओं को तर्क व अनुभव पर आधारित, विज्ञान-सम्मत व लोकतंत्रपक्षी बताया था। उनकी दृष्टि में धर्म का कार्य विश्व का पुनर्निर्माण है । बुद्ध भिक्षुओं में भिक्षु थे। धम्म ही संघ का प्रधान सेनापति था। स्त्री-पुरुष समानता पर आधारित बुद्ध की शिक्षाएं धर्म को स्वाधीनता, समानता और भाईचारा का मुख्य हेतु बनाती हैं। बुद्ध की शिक्षा के अनुसार भूतकाल धर्म पर बोझ नहीं होना चाहिए। उसमें समय की अनुकूलता होनी चाहिए। डॉ अम्बेडकर की दृष्टि में बुद्ध तानाशाहीविहीन साम्यवाद को लाने के लिए यत्नशील थे।
डॉ श्रीकांत सिंह ने डॉ अंबेडकर को बुद्ध की शिक्षाओं के सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समझाया। उन्होंने आज के समय में वंचित जन के आधार रूप में बौद्ध शिक्षाओं को प्रस्तुत करने में डॉ अंबेडकर को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बताया। देश के अधिकारविहीनों के अधिकार के लिये उन्होंने संघर्ष किया, उनके लिये थियरी दी।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं की केवल सामाजिकी नहीं अपितु वैयक्तिक इयत्ता भी समान महत्त्वपूर्ण है। इसीलिए डॉ अम्बेडकर प्रतीत्य समुत्पाद की बात करते हैं। वे बुद्ध में मार्गदाता देखते हैं। उनकी दृष्टि में अहिंसा भी सापेक्षिक पद है। आज के समय में इसको गहराई से समझना होगा। सनातन धर्म के पक्षों – विपक्षों को उन्होंने समकाल में परीक्षित किया। यह उनकी प्रतिभा का प्रमाण है। प्रो लाभ ने इस आयोजन पर खुशी जताई।
कार्यक्रम का संयोजन दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ सुशिम दुबे ने किया। अपने संचालन में उन्होंने डॉ अंबेदकर के जीवन का परिचय दिया तथा उनके महत्त्वपूर्ण कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। वेबिनार में डॉ नीहारिका लाभ के साथ, नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के आचार्य , अन्य शिक्षकेतर सदस्य , शोधार्थी , अन्य विद्यार्थी तथा महाविहार के अतिरिक्त श्रोता- दर्शक सम्मिलित हुए।
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