नव नालंदा महाविहार में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया
नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन का विषय था – ” भारतीय परंपरा में स्त्री”। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविहार के कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने की तथा मुख्य अतिथि थीं – डॉ निहारिका लाभ।
मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग की पूर्व आचार्य डॉ. नीहारिका लाभ ने कहा कि स्त्री- पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं। स्त्री के जीवन में आधुनिक कारणों से बदलाव आया। उसे आज के अनुसार बदलना पड़ा । शिक्षा, संगीत , विज्ञान आदि में उसने नए प्रतिमान उपस्थित किए हैं । घर को संभालने वाली स्त्री भी उतनी ही आधुनिक व प्रासंगिक है जितनी कार्यशीला । ‘स्वतंत्र’ व ‘स्वच्छंद’ होने को पृथक -पृथक रूप में लेना चाहिए।
अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कुलपति डॉ. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि लोर्ड मैकाले ने ऐसी शिक्षा प्रणाली दी कि पश्चिमी अवधारणा पर आधारित सारे दिवस अमूमन औपचारिकता – से लगते हैं। व्यक्तिवाद के कारण ही आज स्त्री पुरुष के अलग अलग खाँचे दिखते हैं। जब कि भारतीय परम्परा में स्त्री पुरुष एक दूसरे को सम्पोषित करते हैं। पाश्चात्य का विद्रूपीकरण आज क़दर है लड़कों की बोली लग रही है। आपस में संदेह निरंतर बढ़ा है, यह व्यक्तिवादी सोच का परिणाम है। बेटी व बेटा : दोनों मूल्यवान है। नारी का महत्त्व न कभी कम हुआ है न कभी कम होगा। उसकी संवेदनशीलता पुरुष से कहीं अधिक है। आज नारी अपने गंतव्य को प्राप्त करने के लिए अधिक सचेष्ट है।
सह आचार्य डॉ. रूबी कुमारी ने कहा कि स्त्री भारतीय परम्परा में स्त्री पुरुष से पहले स्मरण की जाती है। विद्या, शक्ति, धन आदि की अधिष्ठात्री स्त्री रही है। वेद में सैन्य तथा राज काज के संचालन में स्त्री आगे रही है।
श्रीमती अवन्तीप्रभा ने महिला दिवस की शुभ कामनाएँ दीं तथा संकल्प के लिए प्ररित किया कि तय करें कि वे कुछ बन के रहेंगी।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक आचार्य डॉ. सोनम लामो ने कहा कि भारतीय परम्परा में स्त्री का महत्त्वपूर्ण स्थान है। डॉ शुक्ला मुखर्जी ने धन्यवाद- ज्ञापन करते हुए कहा कि नारी का जीवन संघर्षमय रहा है किंतु वह निरंतर आगे भी बढ़ती रही है।
कार्यक्रम में नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के आचार्य , गैरशैक्षिक सदस्य तथा शोधछात्र उपस्थित थे।
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