बेटियां
प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियां,
अपने आंगन की विश्वास हैं बेटियां।
वक्त भी थामकर जिनका दामन चले,
ढलते जीवन की हर सांस हैं बेटियां।
उनके पलकों के आंचल में खुशियां बहुत ,
जिनके दिल के बहुत पास हैं बेटियां।
गोंद में खेली नाजों पली फिर चली,
राम सीता की बनवास हैं बेटियां।
जिनकी झोली है खाली वहीं जानते,
पतझरों में भी मधुमास हैं बेटियां।
रेत सी जिंदगी में दिलों को छुएं,
मखमली नर्म सी घास हैं बेटियां।
भ्रूण हत्या में बेटी मरेंगी नहीं,
दहेज की आग में अब जलेंगी नहीं।
शिक्षा के दीप से जग को जगमग करें,
चांद सूरज सितारों सी हैं बेटियां।
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