धान की फसल गिरने का कारण व उसका निवारणः प्रो.रविप्रकाश
बलिया -आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष, प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसानों को बताया कि धान की फसल गिरने के कई कारण होते है। किसी भी फसल के लिये नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश की मात्रा मृदा परीक्षण के आधार पर निर्धारित होता है। बिना मृदा परीक्षण कराये निर्धारित मात्रा से ज्यादा नत्रजन की मात्रा यूरिया से पूरा करते है। आवश्यकता से अधिक नत्रजन की मात्रा होने पर पौधों की बढवार ज्यादा हो जाने के कारण धान की फसल गिर जाती है। पौधों की रोपाई सदैव कतार मे पूरब पश्चिम दिशा मे करनी चाहिये, जिससे तेज हवा चलने पर आसानी से पौधों के बीच से निकल जाय। तथा धूप भी ठीक ढंग से लगे। जिस क्षेत्र मे ऐसी समस्या है वहा अधिक बढ़वार वाली प्रजाति न लगा कर मध्यम बढ़वार वाली प्रजाति लगाये।
प्राईवेट हाइब्रिड प्रजाति की जगह कृषि अनुसंधान केन्द्रों, कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित उन्नति शील प्राजातियों को लगाये। जो आप के क्षेत्र के लिये संस्तुति की गई हो। जो पौध गिर गया हो पकने पर पौध की ऊपरी भाग की कटाई करे। कम्बाईन चलाने मे कठिनाई होगी।