29 जुलाई से सिक्कों पर आधारित आनलाइन प्रदर्शनी आयोजित होगी
कुशीनगर – प्राचीन सिक्के राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनकी सम्यक सुरक्षा एवं भावी पीढ़ी हेेतु इन्हें संरक्षित रखना तथा जनसामान्य विशेष कर बच्चों में अपने धरोहर के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करना हमारा कर्तव्य है। कोविड-19 महामारी के समय लाकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जनसामान्य को संक्रमण से सुरक्षित रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति हेतु राजकीय बौद्ध संग्रहालय, कुशीनगर द्वारा दिनांक 29 जुलाई, 2020 से सिक्कों पर आधारित आनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का अवलोकन संग्रहालय के फेसबुक पेज व यू-ट्यूब चैनल पर किया जा सकता है।
प्रदर्शनी में सिक्कों की उत्पत्ति, उनके निर्माण के विविध तरीकों यथा टूल-डाई तकनीक, स्क्रू प्रेस तकनीक, भाप-चलित मशीनों से निर्माण व आधुनिक टकसालों में निर्माण की तकनीकों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। इस प्रदर्शनी में प्रारम्भ से लेकर वर्तमान तक सिक्कों को ढालने की प्रक्रिया को छायाचित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। तीसरी सहस्राब्दी तक विनिमय के माध्यम के रूप में अनाज के उपयोग, वैदिक काल में विनिमय का माध्यम के रूप में गायों के प्रयोग, विनिमय में हार की तरह के आभूषण ‘निष्क‘ के प्रयोग, निश्चित भार वाले सुवर्ण का प्रयोग आदि के दृष्य विनिमय की आरंभिक व्यवस्था को स्पष्ट करते हैं।
धातु पिण्डों के माध्यम से विनिमय करने की प्रथा व्यवस्थित हो जाने पर भी उनके सही वजन एवं धातु के शुद्धता की प्रामाणिकता के लिए उन पर उत्तरदायी अधिकारी का चिन्ह अंकित किया जाने लगा। इस प्रकार सिक्कों का जन्म हुआ। भारत के प्राचीनतम आहत सिक्के, विभिन्न जनपदों के सिक्के, भारतीय यवन सिक्के, कुषाण एवं गुप्त राजाओं के सोने, चांदी एवं तांबे के सिक्कों के अतिरिक्त सातवाहनों के सिक्के, मध्यकालीन सिक्के, आधुनिक सिक्कों की श्रृंखला में आना, नया पैसा के अतिरिक्त मेडल आदि का अवलोकन आनलाइन प्रदर्शनी में किया जा सकता है।
Facebook Comments