Friday 19th of April 2024 07:05:01 PM

Breaking News
  • राहुल गाँधी का बड़ा आरोप , लोगो पर एक इतिहास – एक भाषा भोपना चाहती है बीजेपी |
  • भारतीय रेलवे सुपर एप्प लांच करेगे |
  • मनीष सिसोदिया को नहीं मिली राहत , कोर्ट ने 26 अप्रैल तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 28 Jun 2020 5:20 PM |   376 views

झोपड़ी से महल

” रे बुड्ढे अपनी झोपड़ी यहाँ से हटा लो ”

“आप कौन है साहब ? क्यों हटा रहें है मुझे ? परिवार लेकर कहाँ जाऊं ?

मै  ठेकेदार हूँ | तुम्हे एक दिन का समय दे रहा हूँ | उसके बाद मुझे दोष मत देना |इनता कहते हुए ठेकेदार चला गया और बुधन आँखे फाड़कर ठेकेदार को देखता रहा बुधन के परिवार में उसकी पत्नी और एक छोटी सी बच्ची है |बुधन मजदूरी करके अपना परिवार चलाता है | अत : वह मजदूरी के लिए चल दिया |

रास्ते में सोचता रहा कि क्यों न चल कर नेता जी से बात करूँ , वही न मेरी झोपड़ी यहाँ लगवाए थे | इसलिए चुनाव में उनका झंडा लेकर बिना कुछ खाए- पिए महीनो आगे – आगे चलता रहा और वो जीत भी गये | आज तो मंत्री बन गए हैं |मेरी जरुर मदद करेंगे |दिन भर इन्ही बातों को सोचते हुए काम करता रहा |शाम को अपनी मजदूरी लेकर अपनी झोपड़ी पर वापस आया | उसकी पत्नी सुगिया दो वर्ष की बच्ची को लेकर बैठी – बैठी उसी ठेकेदार की बात सोच रही थी |सुगिया बुधन को देखकर बोल पड़ी —

” ठेकेदार को क्यों नही बता दिए की हम लोग नेता जी के आदमी हैं |

बुधन – वह कुछ सुने तब न बताऊँ |

सुगिया – तब तुम लखनऊ चले जाओ , नेता जी को बता दो | अब तो  वो मंत्री हो गयें है | उनको बता दो ,सब ठीक हो जायेगा | यह ठेकेदार क्या करेगा ?

बुधन – लखनऊ जाने के लिए किराया भाडा ——–

बुधन की बात को काटकर सुगिया ने कहा ” मेरी हसुली बेच दो| इस प्रकार बुधन सुगिया का हसुली बेचकर , लखनऊ चला गया लेकिन अपने प्रिय नेता तक पहुँच नही पाया |कुछ गेट कीपर और कुछ नेता जी के चमचो ने बुधन को इतना तंग किया कि वो निराश होकर वापस चल दिया |रस्ते भर अपने नेता कि बात सोचता रहा कि ” चुनाव के दौरान नेता जी अक्सर कहते थे कि तुम चिंता न करो बुधन मई जीत जाऊँगा तो तुम्हारी झोपड़ी महल में बदल जाएगी | इस प्रकार की बातों को सोचते हुए अपनी झोपड़ी पर पहुँचता है तो वह देखता है कि झोपड़ी धूं – धूं करके जल रही है और ठेकेदार कुछ लोगो के साथ खड़ा होकर हँस रहा है |

बुधन,  चिल्लाते हुए इधर – उधर दौडा किन्तु कोई लाभ नही हुआ |आग की लपटें शांत हुई तो उस राख की ढेर में उसकी सुगिया और मुनिया अध जली लाश पड़ी हुई थी | यह देखकर बुधन पागल हो गया और अपनी याद्दाश खो बैठा |बुधन अब अर्धनग्न अवस्था में दिन भर घूमता रहता है कहीं कुछ मिल जाता है तो खा लेता है और “झोपड़ी से महल ” झोपड़ी से महल रटता रहता था |

दो माह में उस ठेकेदार ने पांच मंजिल का महल तैयार कर दिया |गृह प्रवेश के दिन काफी चहल – पहल थी |सब लोग खा पी रहे थे |एक तरफ गरीब और भीखमंगों को कतार से बैठाया गया था और बुधन का प्रिय नेता जो मंत्री थे , गरीबो को कपडा व कुछ रुपये बाटने के लिए उस महल से बाहर आये |उनको देखते ही बुधन की याददास्त वापस लौट आयी |पुलिस  लाठिया मारती रही लेकिन बुधन  लाठियां खाते हुए भी मंत्री जी तक पहुच गया और हाथ जोड़ते हुए बोला – 

” बहुत – बहुत धन्यवाद नेता जी आप ने अपना वादा पूरा किया इस झोपड़ी को महल में बदल दिया | मंत्री द्वारा दिया गया कपडा व रूपया मंत्री के ऊपर फेक कर चल दिया |  

(डॉ  भोला प्रसाद ‘आग्नेय ‘, बलिया ) 

 

Facebook Comments