योग
योग प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है |सनातन परम्परा एवं मानव धर्म की परम उपलब्धि जीव का शिव से मिलन अर्थात मोक्ष है | इसमें योग की अहम भूमिका है | चिन्तक , विचारक , दार्शनिक ऋषि , मह्रिषी आदि लोगो ने योग को अपने – अपने ढंग से परिभाषित कर मानव को चरम लक्ष्य तक पहुचाने का माध्यम बताया है |
सदाशिव ने तंत्र साधना के माध्यम से योग के माध्यम से योग के महत्व को समाज प्रतिष्ठित किया |
योग का अर्थ है जोड़ना परन्तु जोड़ना शब्द इस योग के लिए ठीक नही है |योग का अर्थ – to unity अर्थात जीव का शिव से में विलीन होना | जीव का ब्रह्म के साथ एकाकार होना |
मानव जीवन त्रिसत्तात्मक है – शरीर , मन और आत्मा |तीनो में संतुलन स्थापित करना योग से ही संभव है |हमारे पूर्वजों द्वारा सौ वर्ष तक जीने की कल्पना का आधार योग ही है | आसन और प्राणायाम के द्वारा शरीर और मन को स्वस्थ रखा जा सकता है |भारतीय संस्कृति की इस मूल अवधारणा को जन – जन तक पहुचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का जो पहल किया है वह प्रशंसनीय और सराहनीय है |आज छटवा योग दिवस मनाया जा रहा है |इस अवसर पर जरुरत है कि योग की सही अवधारणा को जन – जन तक पहुँचाया जाया | योग के प्रचार जन जागरण अभियान चलाया जाये |
” करो योग, रहो निरोग ”