पत्रकारिता का उद्देश्य
मानव स्वभाव है हर घटना को जानने की उत्कंठा |कौन सी घटना कब हुई ? कहाँ हुई ? क्यों हुई ? कैसे हुई ? इत्यादि प्रश्नों के उत्तर को ढूढना ही पत्रकारिता है |सृष्टि की रचना के समय से ही इन सभी प्रश्नों के उत्तर ढूढने तथा एक – दूसरे तक पहुँचाने का काम देवर्षि नारद जी किया करते थे , किन्तु धीरे – धीरे इस कार्य की सम्पन्नता में जो क्रियाशील बने उन्हें नारद की संतान अर्थात पत्रकार कहा जाने लगा |
मीडिया की महत्ता हर समय हर युग में रही | मीडिया का तात्पर्य होता है सूक्ष्मातिसूक्ष्म तरीके से, प्रभावकारी ढंग से ,गहराई, से ढूढना ,वास्तविकता अर्थात किसी घटना की वास्तविकता की तह तक पहुचने का जो मार्ग हो ,वह सूक्ष्म से सूक्ष्म ,असरदार तथा गंभीर हो | उसकी विश्वसनीयता पर कोई ऊँगली न उठा सके | यह सर्वमान्य सत्य है कि इस दुष्कर कार्य को केवल एक पत्रकार ही कर सकता है |
पत्रकारिता तलवार की धार पर चलने जैसा कार्य है |इसे बहुत सरल तरीके से किया जाना संभव नही है |पत्रकार शब्द के जो चार अक्षर हैं , पत्रकार दायित्व बोध के लिए पर्याप्त हैं | हमने गंभीरता से इस पर विचार किया कि आखिर यही शब्द इस कार्य के लिए क्यों अभिहित हुआ ?
विचारोपरांत हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि-
प अर्थात एक पत्रकार को पवनवत गतिमान होना चाहिए |तात्पर्य जब तक शासन -प्रशासन का कोई व्यक्ति घटना स्थल पर पहुचे , उसके पूर्व ही पत्रकार पहुंचे और वास्तविकता का स्थलीय जांच स्वत : कर ले |किसी के बहकावे में न आये |
त्र अर्थात त्रस्तो के निराकरण में अपनी अग्रणी भूमिका का निर्वाह करे अपनी कलम के कमान से |
का अर्थात पत्रकार को कालज्ञ होना चाहिए, कायर नही |यदि उसमे कालज्ञता है तो कभी भी वह असफल नही होगा | हमारे शास्त्र भी सफलता की कुंजी के रूप में काल की पहचान को अर्थात कालज्ञता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानतें है |यथा –
क : काल : कानि मित्राणि
कृ लाभ : कृच व्ययमागमौ
कोडहं का च में शक्ति :
इति चिन्तयेत मुहुम्रहु||
तात्पर्य यह है कि जिसमे समय को पहचानने , लाभ -हानि का आकलन करने तथा अपनी शक्ति एवं स्वयं को पहचानने की क्षमता हो ,वह कभी असफल नही होगा |यह बहुत गंभीर और विचारणीय बिंदु है |
अंतिम अक्षर र ,जिसका तात्पर्य रचनात्मकता से है |अर्थात पत्रकार को रचनात्मक होना चाहिए |
स्वर्गीय उग्रसेन बाबू के शब्दों में –
” सारे चौखट गुनाहों की तस्वीर हैं
सर झुकाए कहाँ बंदगी के लिए
आसमा पर पहुंचना तो आसान है
पर आदमी दूर है आदमी के लिए” |
अर्थात जब मानव से मानवता दूर हो जायेगी तब समाज की तस्वीर ही बदल जायेगी | पत्रकार के लिए आवश्यक है कि उसकी कलम जब कुछ लिखने के लिए उठे तो उसके समक्ष राष्ट्र होना चाहिए और राष्ट्र निर्माण का उद्देश्य |
( कैप्टन वीरेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार )