Tuesday 23rd of April 2024 11:54:35 AM

Breaking News
  •  केजरीवाल के लिए रहत मांगना पड़ा महंगा , कोर्ट ने लगा दिया 75 हजार का जुर्माना , याचिका भी ख़ारिज |
  • कन्नौज से अखिलेश नहीं लड़ेंगे चुनाव , लालू यादव के दामाद को टिकट |
  • राखी सावंत पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार , सुप्रीमकोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 23 Mar 2020 9:10 AM |   358 views

शहीद भगत सिंह

बच्चे का भविष्य पालने में पाँव देख कर ही पता चल जाता है , यह कहावत शहीद भगत सिंह पर चरितार्थ होती है |भगत सिंह पांच वर्ष की उम्र में अपने पिता  के साथ खेत में गये हुए थे और अपने पिता जी से पूछा कि आप लोग खेत में क्या करते है ? पिता ने बताया कि खेत में बीज डालतें हैं ,जो बड़ा होकर फसल का रूप ले लेता है और फसल से ढेर सारा अनाज पैदा होता है | तब भगत सिंह ने अपने पिता से कहा कि पिता जी आप लोग खेत में बंदूके क्यों नही बोतें हैं ?जिससे ढेर सारा बन्दुक पैदा होगा ,जो अंग्रेजो को मारने के काम आएगा | बच्चे की बात सुनकर पिता को काफी प्रसन्नता हुई | उन्होंने सोचा कि यह बालक बड़ा होकर भारत माता की सेवा करेगा |भगत सिंह के पिता भी अंग्रेजो के विरुद्ध तमाम गतिविधियों में शामिल थे |

सरदार भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 में गाँव- बंगा जिला- लायलपुर पंजाब  वर्तमान पाकिस्तान में हुआ था |इनके पिता का नाम  सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था |

सरदार भगत सिंह के जीवन को जलियांवाला बाग़ हत्याकांड, 13 अप्रैल 1919 ने काफी प्रभावित किया था उस समय उनकी उम्र महज 12 वर्ष थी | जलियांवाला बाग़ जाकर वहां की मिट्टी झोले में भरकर साथ लाये थे |भगत सिंह और चंद्रशेखरआज़ाद ने मिलकर क्रांतिकारी संगठन भी बनाया था |आजाद ,राजगुरु और सुखदेव इनके पक्के दोस्त थे | सरदार भगतसिंह बहादुर ,निर्भीक ,साहसी और दृढ संकल्प वाले व्यक्ति थे |जो ठान लेते थे उसे करके दिखाते थे |अंग्रेज उनकी हिम्मत और देश- प्रेम के प्रति समर्पण का लोहा मानते थे |    

भगत सिंह के प्रमुख संगठन नौजवान भारत सभा , हिंदुस्तान सोशलिस्टऔर रिपब्लिकन एसोसिएशन थे | ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा इन्होने ही दिया था ,जिसका अर्थ है ‘क्रांति की जय हो ‘| 5 फ़रवरी 1922 चौरी चौरा कांड , 9 अगस्त 1925 काकोरी कांड ,17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद 17 दिसम्बर 1928 को सांडर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेना |8 अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकना ये सभी घटनाएं उनके पक्के इरादों और आज़ादी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की कहानी बया करती है |

वीर शहीद सरदार भगतसिंह को 23 मार्च 1931 को शाम 7 बजकर 33 मिनट पर उनके दो साथियो  सुखदेव और राजगुरु  के साथ फांसी दे दी गई |लेकिन इनकी कुर्बानी ने एक नया  इतिहास रचा जिसकी कल्पना अंग्रेजो ने नही की थी | भगत सिंह का नाम इतिहास में सदैव अमर रहेगा |

                         ( नरसिंह)

 

 

 

 

Facebook Comments