इसी रास्ते को शुरू में उत्तर कोरिया, ताइवान, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग द्वारा अपनाया किया गया; और बाद में इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, आदि द्वारा। चीन ने तकनीकी क्रांति के साथ साम्यवादी रूढ़िवाद को मिलाया है जिससे तेजी से उन्नति हुई है मुख्यत: भौतिक दायरे में सीमित। यहां तक कि अमेरिका व यूरोप ने भी इस अनुभव से बहुत कुछ सीखा। पर हम तो स्वघोषित जगतगुरु हैं आज से नहीं हजारों साल से। हमारा काम दुनिया को सिखाना है सीखना नहीं।
(प्रोफेसर आर पी सिंह, दी द उ गोरखपुर विश्वविद्यालय)