आम के फसलो को अभी से कीटों व रोगों से बचाएं
बलिया – आम के पेड़ो में बौर आना प्रारंभ हो गया है |इसलिए बागवानों से अच्छा उत्पादन लेने के लिए अभी से इसकी देखभाल करना जरूरी है |क्योंकि थोडा सा भी चुके तो रोग और कीट पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं |आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रोधौगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञानं केंद्र सोहाव बलिया के अध्यक्ष प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि जिस समय पेड़ों पर बौर लगा हो तथा खिल रहा हो उस समय किसी भी कीटनाशक का छिड़काव नही करना चाहिए क्योकि इसका परागण हवा या मधुमखियों द्वारा होता है |अगर कीटनाशक का छिडकाव कर दिया तो मक्खियाँ मर जाएँगी और बौर पर छिडकाव से नमी होने के कारण परागण नही हो पायेगा ,जिससे फल बहुत कम आएंगे |भुनगा कीट आम की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुचाते हैं |इस कीट के शिशु एवं व्यस्क कीट कोमल पत्तियों एवं पुष्पक्रमों का रस चूसकर हानि पहुचाते हैं |इसकी मादा 100 – 200 तक अंडे नई पत्तियों एवं मुलायम प्ररोह में देती है , और इनका जीवन चक्र 12 – 22 दिनों में पूरा हो जाता है |इसका प्रकोप जनवरी – फ़रवरी से शुरू हो जाता है |इस कीट से बचने के लिए बिवेरिया बेसियाना फफुद 5 ग्राम को एक लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें , या नीम तेल 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर ,घोल का छिड़काव करके भी इस समस्या से निजात पाया जा सकता है |
सफ़ेद चुर्णी रोग बौर आने की अवस्था में यदि मौसम बदली वाला हो या बरसात हो रही हो तो यह बीमारी लग जाती है |इस बीमारी के प्रभाव से रोग ग्रस्त भाग सफ़ेद दिखाई पड़ने लगता है |इसकी वजह से मंजरिया और फूल सुखकर गिर जाते हैं |इस रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेंड़ो पर 2 ग्राम गंधक को प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करे | इसके अलावा कैराथेन 1 मिली .को पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए |गुच्छा रोग में पूरा बौर नपुंसक फूलो का एक ठोस गुच्छा बन जाता है | इस बीमारी का नियन्त्रण प्रभावित बौर और शाखाओं को तोड़कर किया जा सकता है |