कृषि कार्य में समस्याएँ और समाधान
भारत कृषि प्रधान देश है | ग्रामीण अंचल से शहरों की ओर पलायन होने के बावजूद भी 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है |जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि ही है |यदि हम अपने अतीत में झांके तो यह देखने को मिलता है कि ‘भारतमाता को ‘ग्रामवासिनी ‘ भी कहा जाता था |
कृषि कार्य के सन्दर्भ में देखे तो फसलों को तीन भागों बाटा गया था |
1 – रबी
2 -खरीफ
3 – जायद
आज भी यही व्यवस्था पूर्ववत है |रबी और खरीफ की फसले तो यथावत हैं जायद में अब उन्नतशील प्रजाति की फसलें हैं ,जिसमे व्यावसायिक कृषि सम्बन्धी फसलें विशेष हैं |खेती के कार्यों में यदि समस्याएँ हैं तो विशेषतया खाद ,पानी और बाज़ार की |प्रायः देखा जाता है कि जब कृषि कार्य का उपयुक्त समय आता है तो खाद ,बीज का सरकारी गोदामों पर आभाव हो जाता है |फलतः अधिक व्यय करके प्राइवेट दुकानों से खाद ,बीज लेने के लिए किसान विवश हो जाता है |पानी की भी समस्या कही – कही ज्यादा होती है |जहाँ के किसान नहरों पर आश्रित हैं , समय से नहरों में पानी ही नही रहता है |मज़बूरी में किसानो को दुसरे साधनों पर निर्भर होना पड़ता है |इससे कृषि कार्य की लागत काफी बढ़ जाती है |
पैदावार होने पर एक समस्या कटाई की होती है तो दूसरी उत्पन्न अनाज को बाज़ार में बेचने की |कटाई के लिए आज श्रमिकों की कमी है |बाज़ार की स्थिति यह है कि छोटे किसान साधनाभाव में अपना अनाज क्रय केन्द्रों तक नही ले जा पातें हैं ,मजबूरन घाटे के भाव में ही व्यवसायी को बेच देते हैं |कभी – कभी तो क्रय केंद्र समय से पहले ही बंद हो जाते हैं |कर्मचारियों की दलील होती है कि बोरो का अभाव है ,तो कभी रखने की क्षमता का |
यह यथार्थ है कि आज केंद्र और राज्य सरकारें किसानो की उन्नति पर विशेष ध्यान दे रही हैं |नए संसाधनों से किसानो को जागरूक करने के प्रयास किये जा रहें है |किसानो की आय बढ़ाने के लिए मिश्रित फसलों की उपयोगिता बताई जा रही है |किसान क्रेडिट योजना से किसानो को लाभ मिला है |कृषि वैज्ञानिको को चाहिए की नित नए प्रयोग करे जिससे कि बेहतर कृषि संबंधी जानकारी किसानो को दे सके , ताकि किसान बेहतर उपज प्राप्त करे | यदि सरकार छोटे किसानो की दशा और दिशा पर विशेष रूप से ध्यान दे तो किसान क्रांति पथ पर निश्चय ही अग्रसर होंगे और समृद्ध भारत का निर्माण करेंगे |
आज ही नही प्राचीनकाल से खेती को गरिमापूर्ण कार्य माना गया है |कहा जाता था कि “उत्तम खेती , मध्यम वान निसिद्ध चाकरी ,भीख निदान “|गोस्वामी तुलसीदास की कलम भी किसानो के प्रसंग के लिए अछूती नही रही है उन्होंने लिखा है कि – “कृषि निरावहि चतुर किसाना |
कैप्टन विरेन्द्र सिंह ,वरिष्ट पत्रकार