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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 8 Nov 2019 10:55 AM |   1142 views

( कवि) मोती बी . ए.

 

उत्तर प्रदेश का देवरिया जनपद आर्थिक रूप से  पिछड़ा जरुर रहा है , किन्तु साहित्य और राजनीति के क्षेत्र में देवरिया सतत अविस्मर्णीय रहेगा | देवरिया के दक्षिणांचल में स्थित बिना मात्र का चर्चित नगर बरहज है |यहाँ से थोड़ी दूर पूरब एक  बरेजी गाँव है जहाँ मोती बी . ए . का एक ब्राह्मणपरिवार में जन्म हुआ था |इनके पिता का नाम राधाकृष्ण उपाध्याय और माँ का नाम कौशल्या देवी था | मोती बी . ए . ने 1 अगस्त 1919 को जन्म लिया तथा 18 जनवरी 2009 को चिरनिद्रा में विलीन हो गये |   मोती बी . ए के बचपन का नाम मोती लाल उपाध्याय था |

मोती बी . ए . प्रारंभ से ही सामान्य छात्र के रूप में रहते हुए साहित्य प्रेमी थे |कविता लिखने में उनका मन ज्यादा लगता था |गाँव से बरहज आकर तत्कालीन किंग जार्ज इंटर कॉलेज से सन 1934 में हाईस्कूल की परीक्षा उतीर्ण की और 1936 में गोरखपुर स्थित चंद्रावत कॉलेज से इंटर पास किये |1938 में वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी . ए . की परीक्षा उतीर्ण किये और तभी से अपने नाम के साथ बी. ए . जोड़ लिए |एम . ए. वी. टी ., साहित्यरत्न की परीक्षाओ को उतीर्ण करने के पश्चात भी इन्होने अपने नाम के आगे से बी . ए . नही हटाया |बराबर कविताएँ लिखतें रहे तथा विभिन्न मंचो से कविता सुनाते रहे , और खूब नाम कमायें किन्तु” भूखे भजन न होहिं गोपाला ” को चरितार्थ कर ये जीविका चलाने के लिए पत्रकारिता से जुड़े |

प्रसिद्ध क्रांतिकारी सतिन्द्र नाथ  सान्याल के दैनिक पत्र ” अग्रगामी ” शिव प्रसाद गुप्त के ” आज “और बलदेव प्रसाद गुप्त के “संसार”के सम्पादकीय विभाग से इनका सम्बन्ध रहा |इसी बीच स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन से भी ये जुड़े तथा गोरखपुर एवं बनारस में नजर बंद रहे |मोती बी . ए . अति साहसी एवं कर्मठ व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे |स्वतंत्रता आन्दोलन में इनकी अहम् भूमिका रही |

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय ही इनका सम्बन्ध पंडित सीताराम चतुर्वेदी से हुआ और इनकी सहायता से लाहौर में फ़िल्मी गीत लिखने का अवसर मिला |लाहौर के बाद बम्बई में रहकर इन्होने कई हिंदी और भोजपुरी फिल्मो के  लिए गीत लिखा |अशोक कुमार , और किशोर कुमार के साथ भी काम किया |

1948 में रिलीज हुई फिल्म ” नदिया के पार “में इन्होने भोजपुरी गीत ” कठवा के नैया बनइहे रे मलहवा “को लिखा जो बहुत ही लोकप्रिय हुआ |घर – परिवार से जुडी कई कविताएँ भी इन्होंने लिखा |इसी बीच सन् 1950 में देवरिया का रुख किये और सन् 1952 से श्री कृष्ण इंटर कॉलेज बरहज में अध्यापन कार्य शुरू किये |अध्यापक के रूप में भी ये काफी चर्चित रहे |विद्वान् भी इनकी सराहना करते नही अघाते थे 

1978 में ये आदर्श अध्यापक पुरस्कार से राज्य सरकार से सम्मानित किये गये |1984 – 1985 में इन्होने कई फ़िल्मी गीतों की रचना की |” गज़ब भइले रामा , ठकुराईन , चंपाचमेली के लिए भी गीत लिखे |इनकी रचनाओं में “समर के फूल ,असो आइल महुआरी में बहार सजनी “आदि इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ है |  

                           ( कैप्टन वीरेंद्र सिंह, देवरिया  )

                         

 

 

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