पहली नज़र
उनकी एक झलक क्या दिखी बस देखता ही रहा
आँखों मे तस्वीर क्या बसी बस सोचता ही रहा
नज़रे चुराना ,मुस्कुराना यूँही मिल जाना सनम
मिलन की आस मे हरदम दर्द अपना सहता ही रहा
जुबां पे आई दिल की बात कैसे कहुं सोचता ही रहा
वो सनम मेरे है मेरे ही रहेंगे सोचता रहा
उनके जज्बातों मे अपने जबाब ढूढ ता ही रहा
चाहत को सनम मेरी नज़रों से तुम समझ लेना
जुबा से इजहारे मोहब्बत कैसे करू मै सोचता ही रहा
ये हकीकत है सनम तुमसे मोहब्बत की है
चाहतों के बाज़ार मे खुद ही खुद को ढूढ ता ही रहा
ना समझ दिल की उनका मेरे दिल पर कैसे राज रहा
उनकी यादो मे जिन्दगी कैसे बसर हो दिल को समझाता रहा
( यश चौहान ,आगरा )
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