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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Dec 2018 7:04 PM |   1039 views

मज़ा सुबह -शाम लेते हैं

           ( शायर- नरेश सागर )

प्यार शर्तो पर करते हो , वफा का नाम लेते हो 

पकड़ते हैं जब हम दामन ,कलेजा थाम लेते हो 

ये कैसी आशिकी तेरी ,दर्द ही दर्द मिलता है 

ना पत्थर हो ना तुम जालिम ,जो ऐसे काम लेते हो 

मोहब्बत के परिंदों को, सौपकर जाल अश्को का 

बैठकर महलो मे अपने ,मज़ा सुबह शाम लेते हो 

नज़र लोगो की क्या लगती ,हाय खुद तुमने डाली है 

करके बर्बाद तुम मुझको ,ख़ुशी का जाम लेते हो 

मेरी आँखों के आंसू से ,खून के कतरे बहते हैं 

सितम अब याद भी कर लो ,क्यू इल्जाम लेते हो 

मेरी गजलों मे हैं खुशबु ,तेरे ही नाम की सागर 

क्यू अपनी ही ह्वादत से ,यु इंतकाम लेते हो  

                  

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